दृढ़ इच्छा शक्ति और मेहनत के दम पर अपनी किस्मत खुद लिखी जा सकती है. IAS के.ललित इसके बड़े उदाहरण हैं. 8वीं क्लास आते-आते उनकी आंखों की रोशनी इतनी कम हो गई थी कि वो अपनी परीक्षा लिख नहीं पाते थे. मगर उन्होंने कभी भी फिजिकल डिसएबिलिटी को अपने रास्ते का रोड़ा नहीं बनने दिया.
आपको बता दे कि ललित के पिता ने भी अपने बच्चे का पूरा साथ दिया और उन्हें एक नॉर्मल बच्चें की तरह ही बड़ा किया. स्कूल से निकलने के बाद ललित ने खुद को यूपीएससी के लिए तैयार किया. ऑडियो बुक्स आदि की मदद से उन्होंने दिन-रात एक करके पढ़ाई की. पहली बार में ललित यूपीएसी की परीक्षा पास नहीं कर पाए, मगर वो टूटे नहीं. उन्होंने एक बार फिर से संघर्ष किया और इस बार वो सफल रहे.
साल 2018 में देख न पाने के बावजूद ललित ने पीएच श्रेणी में यूपीएससी सीएसई परीक्षा पास की और साल 2019 बैच के आईएएस बने. ललित अपनी सफलता का श्रेय अपने मां-बाप को देते हैं. वो कहते हैं कि उनके संघर्ष और कभी गिवअप न करने वाले एटिट्यूड की वजह से ही वो आगे बढ़ सके. ललित की कहानी उन युवाओ के लिए प्रेरणास्रोत है, जो कठिनाईयों से जूझते हुए IAS बनना चाहते हैं.
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