मुंबई। धर्मेन्द्र 85 साल के होने वाले हैं। 8 दिसंबर, 1935 को नसराली, लुधियाना में जन्मे धर्मेंद्र ने कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया है। पिछले साल दिसंबर में धर्मेन्द्र बेटे सनी देओल और पोते करण के साथ कपिल शर्मा के कॉमेडी शो में पहुंचे थे। यहां मौज-मस्ती और हंसी ठहाकों के बीच धर्मेन्द्र ने अपनी लाइफ से जुड़ा एक मजेदार किस्सा शेयर किया था। बातों-बातों में धर्मेन्द्र ने बताया कि 1971 में आई मशहूर फिल्म ‘आनंद’ राजेश खन्ना से पहले उन्हें ऑफर हुई थी।
दरअसल, शो में कपिल शर्मा ने धर्मेन्द्र से पूछा था- ”जब ‘चुपके चुपके’ में आपने एक ड्राइवर का रोल किया, तब ये बात सही थी कि आपको स्टोरी का पता नहीं था और आप सिर्फ डायरेक्टर के कहने पर चले गए।” इस पर धर्मेन्द्र ने जवाब देते हुए कहा- ”ऋषि दा (ऋषिकेश मुखर्जी) आउटलाइन सुना देते थे और हमें पता चल जाता था कि इसमें क्या होगा।
धर्मेन्द्र ने आगे कहा- ऐसे ही उन्होंने मुझे एक कहानी सुनाई थी बेंगलुरू से फ्लाइट में आते हुए फिल्म ‘आनंद’ की। ऋषि दा ने कहा था कि ये करेंगे, वो करेंगे। बाद में पता लगा कि फिल्म राजेश खन्ना के साथ शुरू हो गई।
धर्मेन्द्र ने आगे कहा- ”इसके बाद मैं तो टिकाता हूं न। पीने के बाद मैंने फिर सारी रात ऋषि दा को सोने नहीं दिया। मैं इधर से फोन लगाता तो उधर से ऋषि दा कहते सो जा धरम। मैं उनसे पूछता कि जो कहानी मुझे सुनाई थी ऋषि दा कित्थे गई? मैं रातभर उन्हें फोन करके कहता रहा मेरी फिल्म उसे क्यों दी? दूसरी ओर ऋषि दा मुझसे मिन्नतें करते रहे कि धरम सो जा।
बता दें कि 1971 में रिलीज हुई फिल्म ‘आनंद’ में राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन मुख्य रोल में थे। इनके अलावा सुमिता सान्याल ने भी काम किया है। फिल्म बॉक्स ऑफिस में उस दौर में 1.7 करोड़ रुपए कमाने में कामयाब रही थी।
धर्मेन्द्र दिलीप कुमार के बड़े फैन हैं। उनके मुताबिक, “मैं पंजाब में दिलीप कुमार की फिल्में देख देख कर बड़ा हुआ हूं, फिल्म इंडस्ट्री मे आने के बाद मेरा सपना था कि मुझे दिलीप जी से मिलना है। मेरा वो सपना पूरा भी हुआ और मैं उसे कभी नहीं भूलूंगा।
धर्मेन्द्र के मुताबिक, एक रात उनके पाली हिल वाले बंगले पर बहुत ही ठंड थी। मैं कांप रहा था, दिलीप साहब ने मुझे पहचान लिया और उन्होंने घर के अंदर से एक शॉल लाकर मेरी पीठ पर डाली थी। आज भी वो शॉल मैने संभालकर रखी है उससे मेरी यादें जुड़ी हुई हैं।
धर्मेंद्र ने फिल्म शोले में ‘वीरू’ का किरदार निभाया था, लेकिन उससे पहले वो ‘ठाकुर बलदेव सिंह’ का रोल करना चाहते थे। ‘ठाकुर बलदेव सिंह’ का रोल संजीव कुमार ने निभाया था। लेकिन जब धर्मेंद्र को पता चला कि फिल्म के अंत में संजीव कुमार को लड़की का साथ मिल जाएगा तो उन्होंने अपना विचार बदल दिया था।
इसके बाद 1978 में हेमा मालिनी के पिता का निधन हो गया। हेमा उस वक्त बेहद तनाव से गुजर रही थीं। धर्मेंद्र तब ढाल बनकर उनके साथ खड़े रहे। उनके दुख को साझा किया। हेमा ने उनका प्यार स्वीकार किया और 1979 में दोनों ने शादी कर ली। इसके लिए धर्मेंद्र ने धर्म भी बदला। अपना नाम उन्होंने दिलावर कर लिया था।
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