महाराष्ट्र के नंदुरबार की एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता रेलू वासवे, 6 साल से कम उम्र के आदिवासी बच्चों और गर्भवती महिलाओं की मदद के लिए हर दिन 18 किलोमीटर नाव चला कर गांवों में पहुंचती है.
नासिक की रहने वाली रेलू नर्मदा के पास पली-बढ़ी हैं. उन्होंने अप्रैल के बाद से नवजात आदिवासी बच्चों और गर्भवती महिलाओं का दौरा करना शुरू किया ताकि वे उचित देखभाल और पोषण से वंचित न रहें.आंगनवाड़ी सदस्य होने के नाते वह नवजात शिशुओं और उनकी माताओं के समुचित विकास की जांच करती हैं. रेलू ने एएनआई को बताया, “हर दिन नाव चलाना आसान नहीं है. शाम को घर वापस आते समय मेरे हाथ दर्द करते हैं. लेकिन वह मुझे चिंतित नहीं करता है. यह महत्वपूर्ण है कि शिशुओं और माताएं पौष्टिक भोजन खाएं और स्वस्थ रहें. मैं अपना काम जारी रखूंगी.”
उनका काम की प्रशंसा मुख्यमंत्री कार्यालय और नंदुरबार ज़िला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने की. साथ ही IPS अधिकारी दीपांशु काबरा ने भी ट्वीट कर रेलू के प्रयासों की प्रशंसा की. उन्होंने लिखा, “मिलिए 18 Km नाव चलाकर सुदूर गांवों में माताओं और बच्चों की सेहत का ध्यान रखने वाली महाराष्ट्र की रेलु वसावे से. वे एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में कार्य करती हैं और हर रोज़ बिना रुके यह सफ़र तय करती हैं. उनकी कर्तव्यनिष्ठा, समर्पण व सेवाभाव को साधुवाद.”रेलू के इस काम की तारीफ लोगों ने सोशल मीडिया पर कुछ इस तरह की रेलू जी के जज़्बे को सलाम है!
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