यदि व्यक्ति के इरादे मजबूत हो तो कोई भी बड़े से बड़ा सपना पूरा करना मुश्किल काम नहीं है। मेहनत और लगन के दम पर हर इंसान मुश्किल रास्ते आसान कर लेता है। आर्थिक तंगी और गरीबी झेल कर भी इंसान सफलता की सीढ़ियां चढ़ जाता है। आपने ज्यादातर सुना होगा कि, लोग मेहनत और लगन से बड़े से बड़ा मुकाम हासिल कर लेते हैं। इसी तरह की ही कहानी है एक मजदूर की। जिसकी मां बांस की टोकरिया बेचकर घर का खर्चा चलाती है और घर की हालत खराब होने पर भी जिसके पिता ने सब कुछ बेचकर शराब पी डाली। जिस परिवार पर पूरा गांव ताने मारते नहीं थकता था, आज उसी परिवार के बेटे ने अफसर बनकर सिर्फ परिवार का ही नहीं बल्कि पूरे गांव का नाम रोशन कर दिया है। तो आइए जानते हैं कि, कैसे एक लकड़ी काटने वाला मज़दूर बन गया आईएएस ऑफिसर।

तमिलनाडु के तंजावुर जिले के रहने वाले एम शिवागुरू प्रभाकरन बेहद गरीब परिवार के हैं। जिनके घर की आर्थिक तंगी के कारण घर की हालत अच्छी नहीं रहती थी। गरीबी और सुख सुविधाओं की कमी होते हुए भी वह स्टेशन पर पढ़कर आईएएस अफसर बने और देश का नाम ऊंचा किया।

इंजीनियर बनना चाहते थे प्रभाकरन

प्रभाकरन के पिता शराबी थे, जबकि उनकी मां और बहन बांस की टोकरी बुनकर घर का खर्चा चलाती। प्रभाकरन पढ़ाई में बहुत ही अच्छे थे, लेकिन जब पिता शराब की लत से नहीं छोड़ पाए, तो सारी जिम्मेदारी उनके ऊपर ही आ गई। घर की जिम्मेदारियों के कारण उन्होंने अपनी 12वीं कक्षा की पढ़ाई भी छोड़ी। वह हमेशा से इंजीनियर बनना चाहते थे, जिसकी कसक उनके मन में हमेशा उन्हें परेशान करती थी। पढ़ाई छोड़ने के बाद उन्होंने 2 साल तक आरा मशीन में लकड़ी काटने का काम किया था और साथ ही साथ मज़दूरी भी करते थे। अपना काम करने के बाद वे स्टेशन पर जाकर पढ़ाई किया करते थे।

आर्थिक स्थिति खराब होने पर छोड़नी पड़ी पढ़ाई

घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी। मां काम कर कर घर का खर्चा चलाती थी। बेटे के दिल में अफसर बनने की आस थी, लेकिन गरीबी के चलते कुछ भी नहीं हो पा रहा था। पढ़ाई छोड़ कर मजदूरी करनी पड़ती थी। प्रभाकरन ने भले ही अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी, लेकिन उन्होंने अपने सपने को भी जाया नहीं जाने दिया। इंजीनियरिंग करने का मन बना कर वे कॉलेज जाना चाहते थे, लेकिन कॉलेज का खर्चा ना उठा पाने के कारण उन्होंने स्टेशन पर जाकर पढ़ाई करने की ठान ली।

मेहनत और लगन के दम पर लिया आईआईटी में एडमिशन

प्रभाकरन दिन में पढ़ाई करते और रात स्टेशन पर ही बिताते थे। इसी दौरान उनके दोस्तों ने उन्हें सैंट थॉमस माउंट के बारे में बताया जो कि, पिछड़े लोगों के लिए ट्रेनिंग देते हैं। इससे ही उनकी जिंदगी संवर गई। प्रभाकरन ने काफी मेहनत की थी, जिसके बाद उन्हें आईआईटी में एडमिशन मिला।

आईआईटी की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने एम टेक में एडमिशन लिया और यहां पर उन्होंने टॉप रैंक हासिल की थी। साल 2017 में प्रभाकरण ने यूपीएससी की परीक्षा दी, जिसमें उन्हें 101 वी रैंक 990 कैंडिडेट्स के बीच हासिल हुई।

चौथे प्रयास से हासिल हुई सफलता

हम आपको बता दें कि, प्रभाकरन ने यह रैंक तीन बार असफलता हासिल करने के बाद चौथी बार सफलता प्राप्त की थी। यह उनके लिए एक सपने की तरह था। लकड़ी काटने वाले मजदूर ने आईएएस अफसर बनकर अपने छोटे भाई की पढ़ाई करवाई और अपनी बहन की शादी की। प्रभाकरन के गांव में जैसे खुशियों की लहर दौड़ पड़ी थी। लोग उनकी खूब तारीफ़ कर रहे थे। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से सिर्फ गांव का ही नहीं बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है।

Urvashi Srivastava

मेरा नाम उर्वशी श्रीवास्तव है. मैं इंडिया न्यूज़ वेबसाइट पर कंटेंट राइटर के तौर...