देश के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी आज जिस मुकाम पर पहुंचे हैं, शायद उसी बड़े मुकाम पर आज उनके छोटे भाई अनिल अंबानी भी होते। लेकिन अनिल अंबानी का अपने भाई मुकेश अंबानी से कुछ विवाद होना और इसके अलावा उनके कुछ गलत फैसले उन्हें बड़े मुकाम तक नहीं ले जा सके। अनिल अंबानी धन दौलत के मामले में पूरी तरह से कंगाल है, जबकि उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी पूरी दुनिया के 10 सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में अपना नाम शामिल करवा चुके हैं। जहां एक भाई दुनिया की अमीर हस्तियों में टॉप 10 में से एक है, वहीं दूसरा भाई आखिर कंगाल क्यों है आइए जानते हैं।
फोर्ब्स द्वारा जब दुनिया के 2000 अरबपतियों की लिस्ट जारी की गई थी, तो उस सूची में अनिल अंबानी का नाम शामिल नहीं हुआ था। अनिल अंबानी जो कि, कभी देश के 3 सबसे अमीर लोगों में अपना नाम शुमार करवा चुके हैं। अब धीरे-धीरे अपने लालच के चलते कंगाल भी हो गए। वे आज एक-एक पैसे के लिए मोहताज भी हैं।
पिता के निधन के बाद दोनों भाइयों के बीच में व्यवसाय का बंटवारा कर दिया गया था। जिस वजह से शुरुआत में तो सब कुछ ठीक रहा लेकिन धीरे-धीरे अनिल अंबानी को नुकसान होना शुरू हुआ।
अनिल के हिस्से में जो भी कंपनी है या फिर व्यापार आया, वे उसे खराब प्रबंधन के चलते आगे नहीं बढ़ा पाए और खामियाजा भुगत रहे हैं। उनकी कई कंपनियां दिवालिया भी घोषित हो गई। इसके अलावा बैंकों से लिया हुआ लोन भी नहीं चुका पाए। अनिल अंबानी कर्ज़ में पूरी तरह से डूब चुके थे।
अनिल अंबानी ने साल 2004 में राजनीति में भी एंट्री ले ली थी। वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा पहुंचे थे। मुकेश अंबानी को छोटे भाई की राजनीति में कदम रखना पसंद नहीं आया। वह चाहते थे कि उनके पिता द्वारा खड़ा किया गया रिलायंस का व्यापार निष्पक्ष रुप से अनिल आगे बढ़ाएं। जिस वजह से दोनों भाइयों में मतभेद हो गया था।
ये मतभेद मीडिया तक भी पहुंचा। धीरे-धीरे दोनों में वाद विवाद होने लगा तो उनकी मां कोकिलाबेन ने दोनों के बीच में कदम रखा। दोनों भाइयों में पिता धीरूभाई अंबानी की दौलत का बंटवारा कर दिया। इसके बाद टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर और फाईनेंशियल सेवाओं की सारी जिम्मेदारी साल 2005 में अनिल अंबानी को सौंपी गई थी।
दोनों भाइयों में बंटवारा हो जाने के बाद दोनों ही अपने-अपने काम में व्यस्त हो गए। काम भी अच्छे से चल रहा था। साल 2006 से साल 2008 तक अनिल भारत की सबसे बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर बोली में बिजी रहे। मेट्रो ट्रेन, कोयला संबंधित प्रोजेक्ट, दादरी में गैस पर आधारित मेगा पावर प्रोजेक्ट इन के अंतर्गत शामिल थे। अनिल हॉलीवुड फिल्म मेकर स्टीवन स्लीपवार्ग की कंपनी ड्रीमवर्क्स को 83.5 करोड़ डॉलर में खरीदा था।
रिलायंस पावर अनिल अंबानी की किस्मत जगी और मुकेश अंबानी की दौलत के करीब पहुंच गए। साल 2007 के समय दोनों भाई की संपत्ति में कुछ भी अंतर नहीं था। अनिल अंबानी ने इस साल रिलायंस पावर के शेयर को बिक्री के लिए भी उपलब्ध किया। जिससे उन्हें काफी लाभ हुआ, लेकिन इसके बाद धीरे-धीरे वे नीचे आने लगे। पहले सफलता और फिर असफलता के मार्ग पर बढ़ने के और अनिल अंबानी के कंगाल होने के कई कारण थे।
रिलायंस कम्युनिकेशन ने साल 2017 में वायरलेस व्यापार बंद किया, तो वहीं साल 2019 में रिलायंस कैपिटल ने अपना मुचल फंड व्यापार भी बेच दिया। बात करे 2020 की तो इस साल के शुरुआत में रिलायंस पावर पर 685 करोड़ रु का कर्ज था, इसे कंपनी नहीं चुका सकी। फिर कंपनी को दिवालिया घोषित किया गया। इसके बाद रिलायंस इंफ्रा भी 150 करोड़ रु का कर्ज नहीं चुका सकी। फिर इन सब को लेकर अनिल अंबानी सदमे में आ चुके थे। अनिल अंबानी ने यस बैंक का 2900 करोड़ रु का कर्ज नहीं चुकाया, और यस बैंक में अनिल अंबानी ग्रुप के मुख्य कार्यालय को भी कब्जे में ले लिया था। यस बैंक ने यह फैसला साल 2020 में किया।
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