किसान आंदोलन लगातार जारी है। जिसमें किसानों के विरोध प्रदर्शनों की वजह से देश को रोज ही 3500 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ रहा है। भारत के प्रमुख वाणिज्य और उद्योग मंडल एसोचैम ने सरकार और किसान संगठनों को इन विवादों को सुलझाने की अपील की है। एसोचैम ने इस बारे में मंगलवार को चिंता जाहिर की।
देश को करोड़ों का आर्थिक नुकसान
एसोचैम ने कहा, ” किसानों के प्रदर्शनों से सिर्फ देश को ही आर्थिक नुकसान नहीं हो रहा है, बल्कि आम लोगों को भी कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। जो कि काफी चिंता का विषय बन चुका है। सरकार और किसान संगठनों को शांतिपूर्वक आपस में बातचीत करके इन सभी विवादों को सुलझाना चाहिए। किसान के प्रदर्शनों से और भारत बंद करने से सबसे ज्यादा अर्थव्यवस्था को नुकसान पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में पहुंचा है”।
हाईवे जाम होने से ट्रांसपोर्ट को नुकसान
भारतीय उद्योग परिसंघ ने किसानों के द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन को लेकर कहा है कि, ‘हाईवे रोकने से ट्रांसपोर्ट को भी नुकसान हो रहा है। इन सबके चलते जरूरी सामान भी इधर-उधर नहीं जा पा रहा है। किसानों द्वारा जिस हाईवे पर जाम किया गया है, उसे बंद होने के कारण ट्रांसपोर्ट को दूसरे रास्तों से माल पहुंचाया जा रहा है। जिसमें और अधिक खर्चा आ रहा है। माल ढुलाई खर्च में 8-10 प्रतिशत की बढ़ोतरी पाई जा रही है’।
हाईवे जाम हो जाने के कारण उद्योग धंधों को अभी बहुत नुकसान उठाना पड़ रहा है। क्रिसमस से पहले ही टैक्सटाइल, साइकिल, ऑटो पुर्जे के अलावा खेल के सामान के ऑर्डर भेजना भी बहुत मुश्किल हो गया है। रिटेल चेन सप्लाई में दिक्कत आने के कारण अब फल और सब्जियों की कीमतों पर भारी असर पड़ा है।
दिल्ली एनसीआर, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान सामानों को पहुंचाने में 50% अधिक समय खर्चा हो रहा है। उत्तराखंड, हरियाणा और पंजाब में जो भी वेयरहाउस बने हैं, वहां से दिल्ली तक सामान पहुंचाने में ट्रांसपोर्ट को काफी दिक्कतें आ रही हैं।
पहले कोरोना महामारी और अब कृषि कानून विरोध प्रदर्शन
एसोचैम और सीआईआई ने सरकार से नए कृषि कानूनों पर हो रहे विवादों को जल्द से जल्द सुलझाने का अनुरोध किया है। पहले पूरे देश में कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन हुआ था, जिसके कारण अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचा था और अब किसानों द्वारा किए जा रहे प्रदर्शनों से भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।