संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण एजेंसी ने ‘यंग चैम्पियंस ऑफ द अर्थ’ पुरस्कार के विजेताओं में एक भारतीय का नाम भी शामिल किया है। जिसके बाद खुद यूनाइटेड नेशन ने भारतीयों की काबिलियत की काफी सराहना की। विद्युत मोहन (29 वर्षीय) के प्रयासों की तारीफ करते हुए संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि, ‘यंग माइंड जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए इस तरह के इनोवेटिव विचार के साथ आगे आ रहे हैं उसके सकारात्मक परिणाम हमें देखने को मिलेंगे ‘।
बता दें, जो भी अपने नए विचारों से पर्यावरण से जुड़ी चुनौतियों के समाधान की दिशा में कार्य करते हैं, उनको संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण एजेंसी की तरफ से इस तरह का पुरस्कार प्रदान किया जाता है। यूनाइटेड नेशन एनवायरनमेंट प्रोग्राम UNEP ने बताया कि, ‘टेकाचार’ कंपनी के सह संस्थापक और इंजीनियर विद्युत मोहन ने अपने सामाजिक उद्यम के जरिए किसानों को अपनी फसल का अपशिष्ट ना जलाने की योजना के बारे में बताया है। इसके साथ-साथ उन्होंने अपनी अपशिष्ट का किस तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है, यह भी बताया। विद्युत मोहन ने किसानों को अपनी फसल में अपशिष्ट के अतिरिक्त इस्तेमाल के अलावा आमदनी के भी तरीके समझाएं हैं।
विद्युत मोहन ने विजेताओं की लिस्ट में अपना नाम चुने जाने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि, वह हमेशा से उर्जा तक पहुंचने और गरीबों के समुदायों के लिए आमदनी के अवसर मुहैया करवाने की विषय पर कार्य करना चाहते थे’। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि,
”महामारी के दौरान समाज की समस्याएं काफी बढ़ गई थी। अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ा। ऐसे में हमें प्रकृति को हुए नुकसान के लिए तुरंत कदम उठाने आवश्यक हो गए हैं। ‘यंग चैंपियंस ऑफ द अर्थ’ लोगों को प्रेरित करने और इस दिशा में आगे बढ़ने का काम कर रहे हैं”।
यूनाइटेड नेशन एनवायरनमेंट प्रोग्राम UNEP की कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन ने बताया, जलवायु परिवर्तन जैव विविधता को नुकसान के साथ समाधान के लिए युवा महत्वपूर्ण भूमिका के तौर पर सामने आए हैं। विद्युत मोहन की कंपनी ‘टेकाचार’ किसानों से धान की भूसी, पराली, नारियल के छिलके चारकोल में बदलती है और किसानों को अपशिष्ट जलाने से रोकने और उनसे लाभ प्राप्त करने के लिए प्रेरित कर रही है। साल 2018 में कंपनी की शुरुआत की गई थी, जिसके बाद से मोहन और कंपनी के सह संस्थापक केविन कुंग ने लगभग 4500 किसानों के साथ मिलकर अब तक 30,000 टन अपशिष्ट का निपटारा किया है।
UNEP के इकोनॉमी डिवीजन में ऊर्जा और जलवायु शाखा के प्रमुख मार्ग राडका ने कहा है कि, कृषि अवशेषों को जलाना दुनिया के कई हिस्सों में वायु प्रदूषण का एक स्रोत है। साल 2030 तक ‘टेकाचार’ बड़ी संख्या में किसानों को प्रभावित करेगी। टेकाचार’ की नवीनतम तकनीकी किसानों की सहायता करके पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में भी सहायता कर रही है।
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