इंडियन क्रिकेट टीम के विकेटकीपर बल्लेबाज रह चुके पार्थिव पटेल ने आज बुधवार को अब कुछ देर पहले ही क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास लेने के लिए ऐलान किया है। पार्थिव पटेल को लंबे समय से भारतीय टीम में जगह नहीं मिली थी। वह लगातार इसका इंतजार भी कर रहे थे, लेकिन उन्हें टीम में जगह नहीं मिल सकी।
पार्थिव पटेल ने ट्विटर के माध्यम से एक लंबी चिट्ठी लिखकर क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। आईपीएल 2020 में विराट कोहली की कप्तानी वाली रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की टीम में पार्थिव पटेल भी थे, लेकिन इसमें भी उन्हें एक भी मैच खेलने का मौका नहीं दिया गया था। जिसके बाद बुधवार को उन्होंने सन्यास के लिए ऐलान किया है।
हम आपको बता दें कि, पार्थिव पटेल ने मात्र 17 साल की उम्र में ही भारतीय टीम के लिए डेब्यू किया था और पहला टेस्ट मैच खेला था। ट्विटर पर शेयर करते हुए पार्थिव पटेल ने लिखा है कि,
” मैं 18 साल लंबे क्रिकेट करियर को अलविदा कह रहा हूं। बीसीसीआई ने मुझ पर भरोसा जताया और सिर्फ 17 साल की उम्र में ही टेस्ट मैच की तरह खेलने का मौका भी दिया। बीसीसीआई के इस भरोसे के लिए मैं हमेशा शुक्रगुजार रहूंगा”।
भारतीय टीम के लिए पार्थिव पटेल ने 25 टेस्ट मैच खेले। इसके अलावा वे 38 वनडे अंतरराष्ट्रीय मैचों में भी टीम इंडिया के हिस्सेदार रहे।
पार्थिव पटेल के दो टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले। इसके अलावा पार्थिव पटेल ने टेस्ट क्रिकेट में 6 अर्धशतक लगाए हैं। वहीं वनडे में उन्होंने 4 अर्धशतक लगाए। फ़िलहाल, पार्थिव पटेल कभी भी अपने करियर में शतक नहीं लगा सके।
राहुल द्रविड़ के बाद भारतीय टीम के विकेटकीपर की भूमिका पार्थिव पटेल नहीं निभाई थी, लेकिन जैसे ही महेंद्र सिंह धोनी आ गए उसके बाद धोनी ही छा गए थे। फिर पार्थिव पटेल को ज्यादा मौके भी नहीं मिल सके।
हालांकि इन्हीं दौरान पार्थिव पटेल को कुछ मौके मिले थे लेकिन इन मौकों का फायदा नहीं उठा पाए। इसके बाद फिर भी वापसी भी नहीं कर सके। पार्थिव पटेल ने ट्विटर और इंस्टाग्राम पर लिखा, ” भारी मन से 18 साल के क्रिकेट के सफर का समापन कर रहा हूं”।
पार्थिव पटेल ने महज 17 साल 153 दिन की उम्र में सौरव गांगुली की कप्तानी में टेस्ट क्रिकेट से डेब्यू किया था। विकेटकीपर टेस्ट में पार्थिव पटेल ने 62 कैच लिए और 10 स्टंपिंग की। उनको साल 2002 में इंग्लैंड दौरे पर भी भेजा गया था। इसके बाद वे रणजी ट्रॉफी क्रिकेट में भी पदार्पण नहीं किया।
उसी दौरान पार्थिव पटेल ने दादा यानी कि बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरव गांगुली के अलावा कई अन्य कप्तानों को धन्यवाद कहा। उन्होंने कहा कि,
”बीसीसीआई ने मेरे ऊपर काफी भरोसा जताया था कि, 17 साल का एक लड़का भारतीय टीम के लिए भी खेल सकता है। अपने करियर के शुरुआती सालों में मेरी इस तरह हौसले की आजमाईश की गई, उसके लिए मैं बोर्ड का बहुत शुक्रगुजार हूं”।
साल 2004 में भारतीय टीम से बाहर किए जाने के बात पहला रणजी मैच भी खेला। पार्थिव पटेल ने स्वीकारा कि, वे एम एस धोनी को कभी दोष नहीं दे सकते हैं, क्योंकि उन्हें और दिनेश कार्तिक को एम एस धोनी से पहले ही टीम में अपनी जगह पक्की करने के मौके दिए गए थे। वह घरेलू क्रिकेट में भी काफी कामयाब थे। 194 प्रथम श्रेणी मैचों में 27 शतक सहित 11240 रन बनाए थे।
पार्थिव पटेल की कप्तानी में गुजरात ने साल 2016 और 17 में रणजी खिताब भी जीता में भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह के पहले कप्तान भी रह चुके हैं। जिनके साथ साल 2013 में शायद मुस्ताक अली ट्रॉफी खेला गया। उन्होंने आईपीएल में मुंबई इंडियंस रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु चेन्नई सुपर किंग्स के लिए भी खेला। उन्होंने कहा कि,
”आईपीएल टीमों और उनके मालिकों को मैं धन्यवाद करना चाहता हूं, जिन्होंने मुझे टीम का हिस्सा बनाया और मेरा काफी ख्याल भी रखा। मुझे इस बात का बहुत सुकून है कि, मैंने हमेशा से गरिमा, खेल भावना और आपसी सामंजस्य के साथ ही खेला मैंने जितने भी सपने देखे उससे ज्यादा पूरे किए मुझे उम्मीद है कि मुझे हमेशा याद रखा जाएगा”।
उनके फैंस लगातार इस ट्वीट पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
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