देश की सबसे मुश्‍किल और प्रतिष्‍ठित यूपीएससी की परीक्षा में हर साल लाखों लोग शामिल होते हैं, लेकिन कामयाबी चंद लोगों को ही मिलती है. ऐसे में ये लोग बेहद खास होते हैं और उससे भी ज्‍यादा अहम होता है, ऐसे लोगों का इस मुकाम तक पहुंचने का सफर. आज हम बता रहे हैं 2018 में यूपीएससी की परीक्षा में 316वीं रैंक हासिल करने वाले नवजीवन विजय पवार के बारे में…

नवजीवन पवार ने एक इंटरव्यू में बताई अपनी कहानी

नवजीवन पवार ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने ज्योतिषी के दावे को झुठलाते हुए पहले ही प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली. किसान के बेटे नवजीवन ने न सिर्फ ज्योतिषी के दावे को झुठलाया, बल्कि मेन्स एग्जाम के दौरान डेंगू हो जाने के बावजूद भी पहले प्रयास में बिना कोचिंग के सफलता पाई.

नवजीवन पवार के सफलता का सफर

नवजीवन विजय पवार महाराष्ट्र से हैं. उनके पिता किसान और मां टीचर हैं. वे बचपन से ही पढ़ाई में अच्‍छे थे. उन्‍होंने स्‍कूली एजुकेशन पूरी करने के बाद सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. इसके बाद सिविल सर्विसेज की तैयारी करने का ठान लिया.

दिल्‍ली में आकर शुरू की तैयारी

नवजीवन यूपीएससी की तैयारी करने के लिए दिल्‍ली आ गए. यहां आकर उन्‍होंने पढ़ाई शुरू कर दी, लेकिन यहां नवजीवन ने तैयारी के लिए किसी कोचिंग का सहारा नहीं लिया. वो स्वअध्ययन पर ज्यादा फोकस करते थे. यहां रहकर उन्‍होंने पढ़ाई शुरू कर दी.

मेन्‍स एग्‍जाम में हुआ डेंगू

 

नवजीवन ने एक इंटरव्‍यू में बताया, मेन्स एग्जाम के एक महीने पहले मुझे तेज बुखार और शरीर में दर्द होने लगा. अस्पताल गए तो पता चला मुझे डेंगू हो गया. मैं घर गया तो तुरंत अस्पताल में भर्ती कर दिया गया. अस्पताल में एक हाथ पर डॉक्टर इंजेक्शन लगा रहे थे और दूसरे हाथ में किताब थी. 15 दिनों बाद जब नवजीवन को डेंगू से आराम मिला तो वापस लौटकर दिल्‍ली आए लेकिन अबकी बार वे काफी डिप्रेस हो चुके थे. वो काफी परेशान थे तब उनके दोस्‍त ने उन्‍हें हिम्‍मत बंधाई.

2018 में मिली सफलता

आखिरकार साल 2018 में नवजीवन की मेहनत रंग लाई. उन्‍होंने यूपीएससी की परीक्षा क्रैक कर  316वीं रैंक हासिल की थी.

Supriya Singh

मेरा नाम सुप्रिया सिंह है और मै INDIA NEWS INC में लेखक के पद पर कार्यरत हूँ, मुझे मनोरंजन...