बात अगर ‘आइसक्रीम’ की करे तो यह बच्चे, बूढ़े या फिर जवान हर किसी का पंसदीदा डिश होता है आज हमारे सामने कई कंपनियां आइसक्रीम की है। कई ब्रांड के नाम तो हमारी जबान पर ही रहते हैं। आज देश की एक ऐसी ही आइसक्रीम निर्माता कंपनी के सफलता की कहानी लेकर आए हैं जिसकी शुरुआत मुंबई में एक छोटे से स्टोर के रूप में हुई थी और आज यह देश के हर कोने तक पहुँच चुका है।

नेचुरल आइसक्रीम’ नामक प्रसिद्ध ब्रांड

हम बात कर रहे हैं ‘नेचुरल आइसक्रीम’ नामक प्रसिद्ध ब्रांड की जिसकी नींव रखने वाले रघुनंदन एस कामथ की। कर्नाटक के पुत्तुर तालुका में मुलकी नामक एक छोटे से गांव में जन्में और पले-बढ़े रघुनंदन के पिता पेड़ों और फल बेचने का धंधा किया करते थे, जिससे मुश्किल से 100 रुपये प्रति माह की कमाई हो पाती थी। रघुनंदन कुल सात भाई-बहन थे, किसी तरह माँ खुद का पेट काट बच्चों का भरण-पोषण किया करती थी। अभावों और संघर्षों के बीच ही इनका बचपन बीता और जैसे ही ये थोड़े बड़े हुए काम की तलाश करने शुरू कर दिए।

गरीबी ने सुझाया अनूठा रास्ता

महज 15 वर्ष की उम्र में उन्होंने मुंबई जाने का निश्चय किया और वहां अपने एक रिश्तेदार के भोजनालय में काम करने शुरू कर दिए। जुहू के एक 12×12 फुट कमरे में उन्होंने अपनी रात बितानी शुरू कर दी। कम जगह और ज्यादा लोग होने की वजह से उन्हें खाट के नीचे सोना पड़ता था।

रघुनंदन को इस बात का बखूबी अहसास हो चुका था कि गरीबी से मुक्ति पाने के लिए कुछ न कुछ अपना कारोबार तो शुरू करना ही पड़ेगा। इसी उद्देश्य से आगे बढ़ते हुए उन्होंने अपना काम जारी रखा, खुद की सेविंग्स पर हमेशा जोर देते रहे और अपने आस-पास कारोबार की संभावनाओं को भी तलाशने शुरू कर दिए। चुकी रघुनाथन का परिवार पहले से ही फल के कारोबार से जुड़ा था तो इन्होंने फल से संबंधित कारोबार पर ज्यादा फोकस किया।

आइसक्रीम की दुकान पर रघुनाथन को मिला आइडिया

इसी दौरान एक दिन एक आइसक्रीम की दुकान पर रघुनाथन को एक आइडिया सूझा। उन्होंने सोचा कि “यदि आइसक्रीम में फलों का स्वाद हो सकता है, तो इसके बजाय वास्तविक फल से ही आइसक्रीम क्यों नहीं बन सकते?” हालांकि उन्हें भी यह पता नहीं कि उनका यह आइडिया बेहद क्रांतिकारी साबित होगा और आने वाले वक़्त में वह देश के नामचीन उद्योगपति की सूचि में शामिल होंगे।

अपने आइडिया के साथ आगे बढ़ने का फैसला करते हुए उन्होंने अपनी खुद की सेविंग्स से साल 1984 में मुंबई में चार कर्मचारी की मदद से स्ट्रॉबेरी, आम और सेब जैसे स्वाद वाली 10 आइसक्रीम के साथ शुरुआत की।

लोगों ने उनके आइसक्रीम को काफी सराहा

लोगों ने उनके आइसक्रीम को काफी सराहा और इस सराहना से उनके हौसले को नई उड़ान मिली। एक के बाद एक उन्होंने नए-नए प्राकृतिक फलों जैसे लीची और आम सहित 150 से ज्यादा स्वादों वाली आइसक्रीम बनाते हुए देश की एक नामचीन ब्रांड के मालिक बन गए।

आज कंपनी का वैल्यूएशन 3,000 करोड़

वर्तमान समय में देश भर में उनके 125 स्टोर हैं, जिनमें 5 स्टोर सीधे नियंत्रण के साथ हैं और शेष फ्रेंचाइज्ड के रूप में। देश के लगभग सभी राज्यों में अपनी पैठ जमाते हुए आज कंपनी का वैल्यूएशन 3,000 करोड़ के पार है।एक छोटे से दुकान से शुरू होकर यह कंपनी आज करोड़ों लोगों का चहेता बन चुकी है। और इस सफलता का श्रेय सिर्फ और सिर्फ रघुनंदन के कठिन परिश्रम और दृढ़ इच्छाशक्ति को ही जाता है।

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Supriya Singh

मेरा नाम सुप्रिया सिंह है और मै INDIA NEWS INC में लेखक के पद पर कार्यरत हूँ, मुझे मनोरंजन...