IAS जोगाराम जांगिड़ को राजस्थान जयपुर जिला कलेक्टर लगाया गया। राजस्थान में जोगाराम बेहद प्रेरणादायक अफसरों में से एक हैं। उनकी संघर्ष भरी जिंदगी के बाद ऊंची उड़ान ने बता दिया कि, मुश्किल हालात में भी इंसान जोश और जुनून के साथ कामयाबी की सीढ़ी चल सकता है।

आईएसएस जोगाराम को जयपुर जिला कलेक्टर लगाए जाने के बाद इनके छोटे भाई नाथूराम जांगिड़ ने जोगाराम की सफलता के पीछे की कहानी बताई और उन्होंने बताया कि, किस तरह से जोगाराम की कहानी सभी को प्रेरित करने वाली है।

बाड़मेर के गांव गंगाला के निवासी हैं जोगाराम

नाथूराम जांगिड़ जोकि राजस्थान के सरहदी इलाके बाड़मेर जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर 52 सौ की आबादी वाली ग्राम पंचायत गंगाला के सरपंच और जिला सरपंच संघ बाड़मेर के उपाध्यक्ष हैं, बताते हैं कि जोगाराम का जन्म 17 जनवरी 1981 को अर्जुन राम जांगिड़ के घर हुआ। जोगाराम की दिलचस्पी किताबों में ज्यादा थे।

किताबों में मन लगाने को लेकर जोगाराम ने गंगाला से जयपुर जिला कलेक्टर का सफर तय किया। उनकी पढ़ाई सरकारी स्कूल से ही पूरी हुई। 12वीं कक्षा पास करने के बाद 1999 में जोगाराम की सबसे पहले ग्राम सेवक के रूप में सरकारी नौकरी लगी थी। उनको अपनी ही पंचायत समिति के सेतरउ गांव में पोस्टिंग मिली।

बिना कोचिंग के पास की परीक्षा

ग्राम सेवक बनने के बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी। और स्वयंपाठी विद्यार्थी के रूप में उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। बाड़मेर जिले में 5 साल ग्राम सेवक रहने के समय जोगाराम ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी भी की। जोगाराम ने इसके लिए कोई भी कोचिंग नहीं की थी । वहीं रहकर किताबों, पुस्तकालयों, अख़बारों और रेडियो के माध्यम से तैयारी करते रहे और साल 2005 में 62 वी रैंक पर इनका चयन आईएएस के लिए हुआ।

 

 

जोगाराम का परिवार

जोगाराम पांच भाई बहन है जो कि, खुद सबसे बड़े हैं। दो छोटे भाई और दो बहने। छोटा भाई शंकर जांगिड़ साल 2013 में आई आर एस में चयनित हुआ था। मझले भाई नाथूराम गांव के सरपंच हैं। साल 2001 में बाड़मेर की चौहटन पंचायत समिति के गांव घोनिया की मोहरी देवी के साथ जोगाराम की शादी हुई है, जिनका एक बेटा अमृत 11वीं कक्षा में है और बेटी प्रथम वर्ष में जयपुर में पढ़ाई कर रही है।

नाथूराम जांगिड़ ने बताया कि, उनके भाई साल 2005 में बाड़मेर जिले के आईएएस बनने वाले दूसरे व्यक्ति हैं। इससे पहले ललित पवार आईएएस बने थे। गंगाला के कई लोगों को पता भी नहीं कि, भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकार आईएस होता क्या है। कई लोगों को लगता था कि, जोगाराम का ग्रामसेवक पद से ही सीधे प्रमोशन हुआ है।

जोगाराम व उनके गांव से जुड़ी कुछ खास बातें

— जोगाराम आईएएस बनने के बाद भी घर परिवार और शादी के समय जागरण तक के कार्यक्रम में शामिल होते हैं। उनका गांव बेहद पिछड़ा हुआ है। साल 2017 में इनके भाई नाथूराम सरपंच बनने के बाद गांव में मोबाइल कनेक्टिविटी पहुंची थी।

— जिस समय जोगाराम प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे, उस समय उनके गांव में अखबार 2 दिन बाद और रोजगार समाचार 7 दिन बाद पहुंचता था।

— जोगाराम का गांव गंगाला भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जहां पर सिर्फ एक ही बस चलती थी। जो बाड़मेर आती जाती थी।

— जब वह पहली बार आईएस बने तब उनकी पूरी तस्वीर खींची गई थी। इससे पहले हमेशा से ही उन्होंने परीक्षाओं के फार्म के लिए पासपोर्ट साइज तस्वीर खिंचवाई। साल 2001 में जब उनकी शादी हुई तो कोई भी फोटोग्राफी नहीं हुई थी।

— गांव में शादियों में ऐसा कोई भी माहौल नहीं रहता था। वे भरतपुर, दौसा, कोटा और झुंझुनूं के जिला कलेक्टर के आलावा राजस्थान की नौकरशादी में कई पदों पर कार्य कर चुके हैं।

Urvashi Srivastava

मेरा नाम उर्वशी श्रीवास्तव है. मैं इंडिया न्यूज़ वेबसाइट पर कंटेंट राइटर के तौर...